तुम रोज ना ऐसे मन के गांव को निचोड़ा करो, तुम रोज ना ऐसे मन के गांव को निचोड़ा करो,
मैं पूछती हूँ, क्या अतीत को भूलना आसान है ? मैं पूछती हूँ, क्या अतीत को भूलना आसान है ?
जो दे मन को तकलीफ उसे, हमेशा के लिए भूल जाना जो दे मन को तकलीफ उसे, हमेशा के लिए भूल जाना
आखिर होता क्यों है ये मोह आखिर होता क्यों है ये मोह
कभी दफ़न कर दिया उसे, मन के तहखानों की, गहरी शीत भरी परतों में। कभी दफ़न कर दिया उसे, मन के तहखानों की, गहरी शीत भरी परतों में।
प्रिये तुम्हारी यादों वाले, मौसम दूभर हो जाते हैं प्रिये तुम्हारी यादों वाले, मौसम दूभर हो जाते हैं